1 Part
187 times read
8 Liked
हम सोचते थे अफसानों के बारे में, रुक गए लोग रास्ते से घर जाने में। हम अफसानों को हक़ीक़त में बदलते रहे, लोगों के लिए अनजाने में। कुछ उमर गुज़र गई ...