लेखनी कविता -16-Dec-2021 "अफसाना स्वयं का"

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हम सोचते थे अफसानों के बारे में, रुक गए लोग रास्ते से घर जाने में। हम अफसानों को हक़ीक़त में बदलते रहे, लोगों के लिए अनजाने में। कुछ उमर गुज़र गई ...

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